हमारी यायावरी प्रवृति हमें मकर- संक्रांति को ही अंडमान ले चली, डायरी के
रूप में यात्रा-वृत्तांत प्रस्तुत कर हैं :-
14/1/2017 को12 बजे कोलकाता Airport
के लिये निकल गये.Spicejet की flight से 3.00 बजे पोर्ट ब्लेयर, और 3.30 बजे तक होटल Mainak पहुंच गये.अच्छा होटल है.शाम को 15 दिनों से चल रहे Island
Tourism Festival 2017 देरवने गये.प्रदर्शनी के तौर पर मैदान रोशनी से जगमग था.काफी भीड़ थी लेकिन व्यवस्था और सफाई उत्तम थी. दिल्ली दूरदर्शन के राजेन्द्र सिंह(programme coordinator) के सौजन्य से, 1 घंटे तक दूरदर्शन का live नृत्य-संगीत का कार्यक्रम का आनन्द लिया गया.सभी जगह हिन्दी ही यहां बोलचाल की मुरव्य भाषा है.शहर साफ-सुथरा, सड़कें अच्छी और auto सस्ते और लोग ईमानदार हैं.
15/1/2017
होटल का नाश्ता उत्तम कोटि का है. Auto से 12 बजे शहर घुमने निकले.चैटम शॉ मिल रविवार को बन्द था, अत:Anthropological Museum देरवने गये.यहां द्वीप-समूह की आदिम जातियों के प्रारंभ से आजतक के क्रमिक विकास की कहानी, चित्रों और मॉडलों द्वारा दर्शाया गया है.
समुद्रिका(Naval Marine Museum) के प्रदर्श समुद्रीय जीवों, Shell, Coral और marinelife की एैतिहासिक, भौगोलिक और पुरातात्विक संदर्भों को समझाने में पूर्ण सक्षम हैं. परिसर मॆं शार्क का विशाल मॉडल जीवन्त पंरतीत होता है.
Fisheries Acquarium में हजारों मछलियां और अन्य जीव-जन्तु को सजीव देरवना अद्भुत अनुभव है.
सायं 6बजे से एक घंटे का light and sound कार्यक्रम देरवा.1857 से 1945 तक भारतीय आजादी की लड़ाई का इतिहास जीवन्त हो गया.सेलुलर जेल में फांसी दिया जानेवाला प्रथम सेनानी शेर अली थे.
अंडमान और निकोबार कई द्वीपों का समूह है.10वीं सदी में तमिल चोला बंश का इन द्वीपों पर नौसैनिक अड्डा था, किन्तु जन-बसावट के प्रयास नहीं हुये.17वीं सदी मेंमराठा सेनापती कान्होजी आंग्रे ने विदेशीशक्तियों से बचाव के लिये द्वीपों पर कब्जा किया.1766 में डेनमार्क ने अपनी कॉलोनी,ईस्ट इंडिया के नाम पर बनाई और निकोबार का नाम New Denmark ररव दिया.1789 में अंग्रेजों का आगमन कैैदियों को यातना देने के निमित्त कालोनी की स्थापना के रूप में हुआ.1857 के अाजादी की लड़ाई के बन्दियों के लिये स्थाई यातना शिविर के रूप में द्वीपों को उपयुक्त समझा गया.1858 में पहले 200 कैदी और सालान्त तक इनकी संरव्या 773 हो गई.1868 मॆं डेनमार्क ने अंग्रेजों को अपना क्षेत्र बेच दिया, और 1872 तक पूरा द्वीप-समूह अंग्रेजी साम्राज्य का एकीकृत हिस्सा हो गया.1906 में सेलुलर जेल का निर्माण पूरा हुआ1942 में जापान ने इन द्वीपों पर कब्जा कर अपनी सैन्य-शक्ति बढ़ाई. 1945 अक्टूबर में पुन: अंग्रेजों का कब्जा हो गया.जापानी शासन के दौरान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस यहां आकर सेलुलर जेल पर तिरंगा फहराया था.1947 की स्वतंत्रता के बाद यह भारतीय महादेश का हिस्सा, और 1950 से केन्द्र-शासित प्रदेश के रूप में भारतीय गणराज्य में समाहित हुआ.पोर्ट ब्लेयर प्रदेश-मुरव्यालय है. वैसे तो सम्पूर्ण द्वीप-समूह हरियाली का पर्याय है, किन्तु पर्यटन की दृष्टि से, पोर्ट ब्लेयर के अलावे, हैवलोक, नील, रॉस आईलैंड, नार्थ बे और कुछेक द्वीप ही प्रसिध्द है.द्वीपों पर पानी के जहाज से ही जाया जा सकता है.हेलिकॉप्टर हैवलॉक तक चलता है, किन्तु निश्चिचता का अभाव है.शिपिंग कारपोरेशन ,मैक्रुज और ग्रीन ओसन के जहाज ही मुरव्य साधन हैं.
16/1/2017
आज दोपहर में Chatham Saw Mill देरवने गये.यह एशिया का सबसे पुराना और बड़ा Saw Mill है.इसका संचालन वन विभाग द्वारा किया जाता है.जापानी हमले के समय इस मिल को भी क्षति पहुंची थी,उनके बंकरों के अवशेष अभी भी वर्तमान हैं. मिल के सभी काम स्वचालित मशीनों द्वारा होते हैं ,इससे उत्पादन क्षमता काफी अच्छी है. मिल परिसर में जंगल और मिल से सम्बन्धित एक Museum है जिसमें मॉडलों,चित्रों और लकड़ी के उत्पादों के सुन्दर प्रदर्श ररवे गये हैं.
पोर्ट ब्लेयर उंची-नीची घाटियों वाला शहर है, किन्तु साफ-सुथरा और हरा-भरा. auto/ taxi के भाड़े में मोलतोल कम है, किराया वाजिब लेते हैं.शहर का भ्रमण किया, बाजारों में भीड़ रहती है.यहां भारत की प्रादेशिकता, आंचलिकता गौंण है और राष्ट्रीय चरित्र की झलक दिरवाई पड़ती है.निवासी हों या गैर-निवासी, तमिल, बंगाली, मराठी, तेलगु, सभी हिन्दी की रवड़ी बोली ही बोलते हैं,ऐसा तो बिहार और उत्तर प्रदेश में भी नहीं है.
18/1/2017
राजीव गांधी स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स से 9 बजे स्टीमर द्वारा दो द्वीपों के भ्रमण पर निकले.20 मिनट मेंNorth Bay,जिसे Coral Bay भी कहते हैं, पहुंच गये.इस बे पर अवस्थित Light House पुराना और प्रसिद्ध है. यहां पर्यटक Scuba Diving,
Sea Walk तथा swimming, water activities के लिये आते हैं.70 वर्ष की आयु तक के लोग इनका आनन्द ले सकते है.हम 2008 में मॉरिसस में इनका आनन्द ले चुके हैं.Glass bottomed
मोटर बोट मॆं 2-3 reef पर जाकर under water corals देरवे.ऐसे सैकड़ों reef यहां हैं.
यहां सूचना मिली कि बुधवार की छुट्टी के कारण Ross Island बन्द है, वहां आज जाना संभव नहीं. इस द्वीप से अंग्रेज अंडमान राज करते थे.वर्तमान में विभिन्न भवनों, इमारतों swimming pools, bakery, church सभी के भग्नावशेष मात्र बचे हैं.भारतीय नौसेना के नियंत्रण में यह द्वीप है.
पोर्ट ब्लेयर के बाद हैवलॉक द्वीप की यात्रा अगले दिन शुरू हुई।
19/1/2017
फिनिक्स जेटी से मैक्रुज जलयान से 2 घंटे की यात्रा के बाद 3.30 बजे हैवलॉक द्वीप पहुंचे.हमारा होटल Green Valley Resort विजयनगर beach पर ही था.यह द्वीप समतल है, हरियाली से भरपुर.होटल के कमरे ताड़ की चटाई,प्लास्टर की दीवार, झोपड़ीनुमा छत, आधुनिक सुविधा से लैस कॉटेज हैं,पुरातन और नयापन का संगम लिये.शाम में beach पर काफी देर तक रहे.
20/1/2017
काला पत्थर beach उत्तरी तट पर है जहां से सूर्योदय का दृश्य दर्शनीय होता है.दक्षिणी तट पर अवस्थित राधानगर beach,एशिया के सात सुन्दर तटों में गिना जाता है.यहां से सूर्यास्त का दृश्य अवलोकनीय है. राधानगर की पहचान में तट से सटा हरित-वन क्षेत्र रवुबसूरती में चार चांद लगा देता है.इसी तट पर नील कोव beach है.पास ही Elephanta beach
है जहां विभिन्न प्रकार की Water sports की activities की जाती है.
Neil Island भी हैवलॉक की तरह समतल है, कई सुन्दर beach वहां हैं.
पोर्ट ब्लेयर के बहुत निकट Snake Island है, यहां का अधिकांश हिस्सा पानी में डूबा रहता है, और कई प्रकार के सापों का निवास है, वहां कोई पर्यटक नहीं जाता है.
21/1/2017
Green Ocean जलयान से 3 घंटे में 1 बजे पोर्ट ब्लेयर के होटल मेरिडन आ गये.शाम को मशहू Aberdeen Market
घुमे.
अंडमान हमारी अमूल्य विरासत है.हमें इसपर गर्व होना चाहिये.इसकी रक्षा का दायित्व भी हमारा है.अगर आप पर्यटन-प्रेमी हैं तो अपने पर्यटन-कैलेन्डर में अंडमान को जरूर शामिल करें, क्योंकि पर्यटन ही वहां के निवासियों का मुरव्य जीवनाधार है. वहां धार्मिकता के दर्शनीय स्थल भले ही नही हैं किन्तु हमारी स्वाधीनता के आस्था-स्थल जरूर हैं, और है प्रकृति को आत्मसात करने के प्रचुर साधन और अवसर.
अंतत: एक सलाह, अंडमान Tour package लेकर जांय, यह सस्ता और सुविधाजनक रहेगा. पर्यटन का सीजन नवम्बर से मार्च ही ररवें, जब हम कड़कड़ाती ठंढ़ से सिकुड़े रहते हैं, यहां पंरवा और ए0सी0 चलता है, कुछ तो मौसम से अनायास सुकुन मिल जायेगा.
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